Monday, February 13, 2023

ख़्वाब ज्यादा हंसीन नहीं?

 # ख़्वाब ज्यादा हंसीन नहीं?

उसको होता है क्यूं यकीन नहीं।
उसके पैरों तले ज़मीन नहीं।
सुना है इस सियासी दुनियां में,
कोई उस सा अब बेहतरीन नहीं।
सच कहें तो कभी तसद्दुत का,
कोई भी अपना धरम दीन नहीं।
इल्म ने काम कर दिया अपना,
कुलीन सिर्फ़ अब कुलीन नहीं।
कर दिया इसने जहां मुट्ठी में,
ये मोबाइल अज़ब मशीन नहीं।
सभी स्कूल सरकारी होंगे,
ख़्वाब कुछ ज्यादा ही हंसीन नहीं।
रचना–जय प्रकाश विश्वकर्मा, मुंबई


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