Saturday, June 11, 2022

टीवी या अख़बार नहीं हूँ !

एक मैं ही सिर्फ़ तेरा तलबगार नहीं हूँ !
अकेले   ही  तेरे    इश्क़  में  बीमार नहीं हूँ !१ 
दीद-ए-ज़माल    करना  गुनाह   है   अगर,
तो  मैं    ही   सिर्फ तेरा  गुनहगार   नहीं हूँ !२ 

एक  शाम  मेरे साथ कभी  यूं  ही  गुज़ारो,
फिर कह के दिखा दो कि मज़ेदार नहीं हूँ !३ 
सर से  ना  मार  ठोकर  सर  टूट  जाएगा,
फौलाद  हूं, कोई  रेत  की  दीवार  नहीं हूँ !४ 
मैं   ताल   ठोकता   हूँ,  दंगल भी  कराता, 
दूरदर्शन   वाला  कोई   पत्रकार  नहीं   हूँ !५ 

मौसम की तरह अपना मिज़ाज बदल  लूं,
जाओ  हुज़ूर  टीवी  या  अख़बार नहीं  हूँ !६ 
तुमको लगा  होगा कि  वादा  भुला दिया,
कोई जीत कर   आई  हुई  सरकार नहीं हूँ !७ 
रचना -जयप्रकाश विश्वकर्मा ,मुंबई 









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