दिल बदल जाते हैं ज़ज़्बात बदल जाते हैं!
वक्त के साथ ख़यालात बदल जाते हैं!
राह-ए-उल्फ़त में ऐसे भी मोड़ आते हैं,
दिल है क्या चीज, हमराज़ बदल जाते हैं!
छूटता जिनसे नहीं दामन-ए-उम्मीद कभी,
एक दिन उनके भी हालात बदल जाते हैं!
अलविदा जैसे ही बचपन ये कहने लगता है,
जीस्त के अपने सवालात बदल जाते हैं!
जब सियासत में हवाओं का रुख़ बदलता है,
टीवी, अखबारों के अंदाज़ बदल जाते हैं!
इधर के लोग जैसे ही उधर जाते हैं,
सुर बदल जाते हैं मिज़ाज बदल जाते हैं!
ग़र्म बाज़ार अफ़वाहों का भला करने से,
क्या कभी माज़ी के इतिहास बदल जाते हैं!
रचना -जयप्रकाश विश्वकर्मा ,मुम्बई V -१.१
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