हे वक्रतुंड हे लम्बोदर हे एक दन्त धारी !
कृपा सिंधु कर दो कृपा आये शरण तुम्हारी !!
हे शिवानंद हे उमानंद हे दिनन दुःख हरता ,
खुशियों से झोली भर दो दूर हो हर लाचारी !!
हे दया सिंधु , गणनायक हे करुणा के सागर,
विनती सुनलो अष्टविनायक गागर भरो हमारी !!
चिंता सबकी एक ही प्रभू तुम तो अन्तर्यामी,
जीवन में फिर खुशियाँ बरसें हे पीताम्बर धारी !!
सत्य सदा आँखों को साफ़ नजर आ जाये ,
मेरी कलम करे ना कभी झूठ की तरबदारी !!
रचना -जय प्रकाश ,जय १० सितम्बर २०२१
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