Thursday, August 26, 2021

!!मग़र खुदा ना कहो !!







कुछ  तो मज़बूरी रही  होगी  बेवफ़ा  ना  कहो ! 
तुम  मेरे  सामने  उसको  भला बुरा   ना  कहो !!
आदमी  भी  अगर  निकले  तो  ग़नीमत होगी, 
उसे  पहली  नज़र   में  तुम   देवता   ना  कहो !!
दिलों की दूरी  तय करने   में   वक़्त  लगता  है, 
एक मुलाक़ात में किसी को दिलरुबा ना कहो !! 
ज़हर  का  प्याला भी पीना  पड़े तो गम  कैसा ,  
मौत   का  खौफ  सताये  तो  मशीहा ना कहो !! 
शिद्दत  से  पुकारे  भी  सुनता  जो   नहीं  अब , 
कुछ  भी   कहो   उसे   पर  खुदा   ना    कहो !!
मिलें   हैं  गर,  तो  वादा,   है  चलेंगे  कुछ  दूर,
कुछ  तो  रिस्ता  ज़रूर  है  आशना ना  कहो !! 
रचना -जयप्रकाश ,जय २६ अगस्त २०२१ ,  version 1.1 
 

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