यहाँ दरवेश भी, इनते बड़े होते हैं !
जिनके क़दमों में तख्तो ताज़ पड़े होते हैं !!१
दौर मुश्किल भी,सर झुका के बात करता है,
जब सभी लोग एक साथ खड़े होते हैं !!२
क्यूँ , बड़े लोग छोटे दिखाई देते हैं,
पाँव उनके कुछ ज़मीन में भी गड़े होते हैं !!३
डूबते ख़ुद औरों को भी डुबाते 'जय' ,
ख़ुदा बनने की जो ज़िद पे अड़े होते हैं !!४
बनी बनाई वो दुनियाँ उजाड़ देता है ,
फ़ैसले उसके जब जब भी कड़े होते हैं !!५
बड़ो को देखकर , ही तो बड़े होते हैं ,
छोटे बच्चे जो हैं , होशियार बड़े होते हैं !!६
दरवेश - साधु; संन्यासी; फ़कीर
रचना -जयप्रकाश ,जय २६ अप्रेल २०२१
No comments:
Post a Comment