मुश्किलें और बढ़ाने की ज़रुरत क्या है !
घर पे क़ातिल को बुलाने की ज़रूरत क्या है !!१
फिर से एक बार बाहर की हवा क़ातिल है,
नक़ाब रुख़ से हटाने की ज़रूरत क्या है !!२
दुश्मन-ए-जां तो गलतियों के ही फ़िराक में है,
हाथ से हाथ मिलाने की ज़रूरत क्या है !!३
जिन्हे लगता है की झूठ है फ़रेब है सब ,
उन्हें वैक्सीन लगाने की ज़रूरत क्या है !!४
चले जाना हुज़ूर इतनी भी क्या जल्दी है,
क़ब्र में पाँव लटकाने की ज़रूरत क्या है !!५
ज़रा रुक जाते तो आफ़त ना थी आने वाली,
अभी चुनाव कराने की ज़रूरत क्या है !!६
रचना -जयप्रकाश ,जय १० अप्रैल २०२१
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