एक चिड़िया मेरे आँगन में, दिल खोलकर अब जीती है !
मन्दिर में दाना चुगती है, मस्जिद में पानी पीती है !!१
जहाँ नदियाँ दो मिल जाती हैं, एक दूजे की हो जातीं हैं,
वहीं राधा रानी की चूनर कोई सलमा बेगम सीती है !!२
जहाँ मोहन की मुरली पर मन राधामय हो जाता है,
वहीं प्रेम दिवानी मीरा ख़ुद ज़हर का प्याला पीती है !!३
जगजीत के अधरों पर जाकर जहाँ ग़ज़ल अमर हो जाती है ,
वहीं रफ़ी के सुर के जादू से संगीत की ज़ीनत होती है !!४
कुल की मर्यादा की ख़ातिर जहां रिश्ते दाव पे लगते हैं ,
वहीं माँ सीता की डगर डगर अग्नि परीक्षा होती है !!५
गौतम की करुणा के आगे जहाँ नतमस्तक सर होते हैं
वही ज्ञान ध्यान बन जाता है और प्रेम की बारिश होती है!! ६
जहाँ ग़ालिब , मीर , कबीर ना जाने कितने तारे हैं ,
वहीं ओशो की वाणी से दुनियाँ नई ऊंचाई छूती है !!७
रचना -जयप्रकाश ,जय , ३१ मार्च २०२१
ज़ीनत-शृंगार
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