चन्द आँसू किसी के मनसूबों पे पानी फेरा है !
मुँह छुपाये फिर रहा वो रात का अंधेरा है !!
एक ऊगली इस तरफ तो बाक़ी तेरी ही तरफ़
सब कहानी कह रहा जो रायता बिखेरा है !!
बाअदब हम बात करने के सदा आदी रहे
बेअदब लेकिन सियासत सिलसिला तो तेरा है !!
अर्ज़ अपनी मानने में हर्ज़ इतना क्यूँ भला
सबको है मालूम गलत फ़ैसला ये तेरा है !!
हम अधेरों से घिरें हैं, है घड़ी मुश्किल ज़रूर
हम नहीं हारेंगे बस कुछ दूर ही सबेरा है !!
रचना -जयप्रकाश ,जय ३० /०१/२०२१
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