सोशल मिडिया पर बिखरी सच्चाई है !! १
जनवरी छब्बीस को जो देखा सबने,
कोई तो है जो ये साज़िश करवाई है !! २
फिर ज़ज़्बे में नया जोश भर आया है,
फिर आन्दोलन में नई अगड़ाई है !! ३
दिए बुझाने की क़ोशिस नाकाम है सब,
घोर अंधेरों की अब शामत आयी है !! ४
सुबह का आलम जाने कल कैसा होगा ,
करवट ले ले कर रात बिताई है !! ५
मौसम का मिज़ाज़ बदला बदला सा है ,
धीरे धीरे सुरु हुई पुरवाई है !! ६
बेशक आप कुछअच्छे काम किये होंगे ,
लेकिन हुआ है जो इसमें रुसवाई है !! ७
सत्ता का सिंहासन भी हिल जाता है ,
जनता जब जब भी सड़कों पर आयी है !! ८
रचना -जयप्रकाश, जय २९/०१/२०२१
सिंहासन जरुर हिला है ।
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