आखें छीन लेती है और चश्मा दान करती है II
दिये के साथ का दावा , शायद बातें ज़ुबानी है ,
ये मिडिया रात दिन अब फ़क़त गुड़गान करती है II
रंगरलियाँ मानती है हुकूमत के दरीचों में ,
मीडिया अब विरोधी दल को बस बदनाम करती है II
किसानो को दिखाने मे है पुरा सन्तुलन का खेल
इन्हें झूठा बताकर इनका ये अपमान करती है II
दिखाई साफ देता है जमीनी क्या हक़ीक़त है ,
हुकूमत बात करके क्या कोई ऐहसान करती है II
- रचना -जयप्रकाश ,जय
- २८/१२ /२०२०
No comments:
Post a Comment