Thursday, December 31, 2020

!! क़सम खातें हैं !!

 



होश   वाले   तो  पल  पल   में , जिए  जाते  हैं I
वक्त है  अपनी  जगह, हम  ही गुज़र  जाते हैं II १ 

साल दर  साल  नए , सपने  देखने का चलन ,
साल  दर   साल   किये ,  वादे   भूल  जाते हैं  II २ 

इस गए  साल ने जो , ज़ख़्म दिए  गहरे  दिए ,
ज़ख़्म  ऐसे  तो कई सालों  में ही भर  पातें  हैं II ३  

जिंदगी   लेकिन  चलने  का  नाम   है  यारों ,
मुश्किलें  लाख   हो   जीना  नहीं  भुलातें हैं  II ४ 

चलो  दुश्मन  को भी , सीने  से लगाया जाये  ,
इस  बरस  जीने  का कुछ,  दायरा बढ़ाते  हैं II ५ 

ये नया  साल लेके  खुशियों की बहार आये ,
जिंदगी  फिर  से हो  रौशन,  यही  मानते हैं  II ६ 

हिन्दू -मुस्लिम बनकर  तो बहुत देख लिया ,
चलो  इंसान   बनने   की   क़सम  खातें  हैं  II ७ 

रचना -जयप्रकाश ,जय 
३१/१२/२०२० 

 !!आप सबको नए साल २०२१ की हार्दिक सुभकामनाएँ !!
                     !! जयप्रकाश,जय  सपरिवार !!

 


1 comment:

  1. बिलकुल दुरुस्त और सही लिखा है ! चलो इन्सान बन कर देखते है ।

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