वक्त है अपनी जगह, हम ही गुज़र जाते हैं II १
साल दर साल नए , सपने देखने का चलन ,
साल दर साल किये , वादे भूल जाते हैं II २
इस गए साल ने जो , ज़ख़्म दिए गहरे दिए ,
ज़ख़्म ऐसे तो कई सालों में ही भर पातें हैं II ३
जिंदगी लेकिन चलने का नाम है यारों ,
मुश्किलें लाख हो जीना नहीं भुलातें हैं II ४
चलो दुश्मन को भी , सीने से लगाया जाये ,
इस बरस जीने का कुछ, दायरा बढ़ाते हैं II ५
ये नया साल लेके खुशियों की बहार आये ,
जिंदगी फिर से हो रौशन, यही मानते हैं II ६
हिन्दू -मुस्लिम बनकर तो बहुत देख लिया ,
चलो इंसान बनने की क़सम खातें हैं II ७
रचना -जयप्रकाश ,जय
३१/१२/२०२०
!!आप सबको नए साल २०२१ की हार्दिक सुभकामनाएँ !!
!! जयप्रकाश,जय सपरिवार !!
बिलकुल दुरुस्त और सही लिखा है ! चलो इन्सान बन कर देखते है ।
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