ना समझ की ये आशियाना है I
अभी तो दूर बहुत जाना है II१
जान जाओ तो बात बन जाये ,
तुमने हर चीज़ को बस माना है II२
ये जिंदगी है हसीं खेल नहीं ,
वही जागा है जिसने जाना है II३
कोशिशें लाख करके देख ले तू ,
हाथ खली ही ले के जाना है II४
गिरेबां खुद का तो देखा जाये ,
या उंगलियां ही बस उठाना है II५
रचना -जयप्रकाश ,जय [२२/०८/२०२० ]
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