ये किसके ख़्वाबों का हिंदुस्तान है II
दिलों में आग इतनी नफरतों की ,
खंजर बन गई ख़ुद जुबान है II
वक़्त बदला जय मग़र कुछ यूँ बदला ,
TRP ही टेलीविज़न का अब ईमान है II
ना ख़बर थी दिन ऐसे भी आ जायेगे ,
चौकीदार ही ख़ुद लूट लेंगे अब मकान है II
कोई इंसान बनने को ही नहीं राज़ी ,
जहाँ देखूं कोई हिन्दू कोई मुसलमान है II
रचना -जयप्रकाश ,जय [१२/०८/२०२० ]
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