Tuesday, August 11, 2020

IIश्रंध्दांजलि डा. राहत इंदौरी II



मुश्किलें आएगी ज़रूर  घबराने का नई   I
ये   जिंदगी    है   डर    जाने     का   नई II १ 
रूठती      है       तो       रूठ          जाये 
इस  दुनियां  को   सर  पे चढ़ाने का नई II२ 
जो     और   भी      मुश्किलें      बढ़ा   दे 
सरकार      ऐसी      बनाने     का    नई II३ 

अपने    भी    गिरेबां    में झांकना  होगा 
उँगलियाँ औरों   पैर ही उठाने का नई  II४ 
बात      करने      से     बात     बनती  है 
दर्द   यूँ     दिल    में    दबाने    का नई II५ 
समझ   के   भी    ना    जो    ना   समझे 
ज्यादा    उसे      समझाने     का    नई II६ 
दुश्मन     और      भी       बन     जायेगे 
दोस्तों    को      आजमाने    का     नई  II७ 

खुद    के    होने   का     सबब   क्या है 
बिना    समझे    मर    जाने     का नई II८ 
ना   जिनके      खुद    के   सिर  पैर हो 
अफवाहें    ऐसी     फ़ैलाने    का   नई II९ 
छाँव    चाहिए     तो  पेड़ लगाओ जाके 
उँगलियाँ   सूरज   पे   उठाने  का  नई II१० 
रचना-जयप्रकाश ,जय 
11,AUGUST 2020



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