Tuesday, July 7, 2020

खंजर ज़रूर देखे हैं...


क़त्ल किसने  किया न हमने हुरूर देखे हैं  I
पर  उनके  हाथ में  खंजर  ज़रूर  देखे हैं  II

वक्त  के  साथ  फ़ैसले  भी  बदल  जाते है ,
सज़ा  पाते    हुए   बड़े   बेक़सूर   देखे   हैं II

हवा   के साथ   तो आसां है बुलंदी छूना ,
हवा  थमते    ही टूटते   गुरूर    देखे   हैं II


गलत को गलत कहने में जिगर लगता  है ,
आजकल    हमने   बड़े  जीहुजुर  देखेँ  हैं II

नजर  उसकी  सबपे हो  जरूरी है नहीं ,
 नज़र   उसपे   सबकी   ज़रूर   देखें   हैं II

रचना- जयप्रकाश विश्वकर्मा (जय)
0 ३-जुलाई 2020 

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