आईना जब भी कोई टूटा होगा !
किसी को चाहने वाला कोई रूठा होगा !!
आईना टूट गया कोई दिल रूठा ही नहीं
सच कहता हूँ खबर लाया जो झूठा होगा !!
कोई दिल रुठ गया आईना टूटा ही नहीं
फिर से देखो जरूर आईना कोई छूटा होगा !!
रचना- उदय प्रकाश विश्वकर्मा,1999 अगस्त
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