कल कभी आता नहीं और आज जो जाता नहीं II 1
वक़्त के आगे , क्या कलंदर क्या सिकंदर ,
वक्त से आगे यहाँ , कोई निकल पाता नहीं II 2
सच अगर तन्हा भी हो, बेफिक्र रहता है सदा,
झूठ को बेख़ौफ़ रहना, 'जय' कभी आता नहीं II 3
एक को पूरा करूँ , दूसरा हो जाये जवां ,
जिंदगी में ख्वाइशों का सिलसिला जाता नहीं II 4
'जय' कोई पत्थर नहीं मैं भी एक इंसान हूँ ,
कैसे कह दूँ, मुश्किलें आयें तो घबराता नहीं II 5
रचना -जयप्रकाश ,जय २४/०१/२०२१
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