Sunday, January 24, 2021

II ख्वाइशों का सिलसिला II









मन  की आदत , देर तक  कहीं  टिक पाता नहीं    I
कल कभी आता नहीं और आज जो जाता नहीं   II 1

वक़्त  के  आगे ,  क्या   कलंदर   क्या  सिकंदर ,
वक्त से   आगे  यहाँ ,  कोई   निकल पाता नहीं   II 2

सच अगर  तन्हा  भी हो, बेफिक्र  रहता है सदा, 
झूठ  को  बेख़ौफ़ रहना, 'जय' कभी आता नहीं   II 3

एक  को  पूरा  करूँ ,   दूसरा   हो   जाये  जवां  ,
जिंदगी में ख्वाइशों  का सिलसिला जाता नहीं    II 4

'जय' कोई   पत्थर  नहीं   मैं  भी  एक इंसान हूँ ,
कैसे  कह दूँ,  मुश्किलें  आयें  तो  घबराता नहीं   II 5

रचना -जयप्रकाश ,जय  २४/०१/२०२१ 




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