Sunday, July 12, 2020

निगाहों से उतर जाएँगे....


यकीं   है  अपने  हालात  भी  सुधर  जाएँगे I
मगर  कुछ  लोग  निगाहों  से  उतर जाएँगे II 1

न  खबर   थी    कब     ये    साज़िश   हुई 
चराग  अपने   ही   अपना   घर   जलाएंगे II 2

याद   हूँ   दिल  ही   में   घर   बना  लूँगा मै 
हुज़ूर    हम से  बच   के   किधर   जाएंगे II 3

गर  मेरा    साथ   देने   का    वादा   करो 
राह  कितनी  भी  मुश्किल   गुजर  जाएंगे II 4

ज़बाब  मिलने  तलक   चुप न बैठेंगे  हम 
हम  नहीं  वो  जो  धमकी  से डर  जाएंगे II 5

लाख   हवाएँ   अंधेरों   पर   पहरा   रखेँ 
चाहे  कुछ   भी  हो  चराग  हम  जलाएंगे II 6

मेरे   गम  भी  लो  अब    काम  आने लगे 
जब  भी   रोएंगे   कुछ   लोग मुस्कुरायेंगे II 7

उनकी बातों को अब दिल पे  लेता है कौन 
कर   के वादा वो  फिर से  मुकर    जाएंगे II 8

जिंदगी  आज   फिर   से दो   राहे   पे है 
ले   के जाएगी     किस्मत    उधर जाएंगे II 9

तुम न  समझोगे   दोस्त  सियासत है  ये 
जो  दिखता   इधर     कल   उधर जाएंगे II 10

दोष    देना  ज़माने   को   फैशन     बना 
खुद के किरदार को न आइना दिखाएँगे II 12

बहती  दरिया ने मुझको  ही प्यासा रखा 
जाके   एक दिन   समंदर को बतलाएँगे  II 13

अब   ग़मों    से भी जय   आशनाई  हुई 
ग़लतफ़हमी   में हो  की बिख़र  जाएंगे II 14

रचना -जयप्रकाश विश्वकर्मा 
११/१२/जुलाई 2020 


दरिया -       नदी 
आशनाई -दोस्ती 








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