जान कर अनजान बन जाते हैं वो I
आजकल नादान बन जाते हैं वो II 1
पैर की जूती जिनके क़ानून ही ,
शौक से हैवान बन जाते हैं वो II 2
सर पे जो आक़ाओं का हाथ हो ,
खुद ही शेरख़ान बन जाते हैं वो II 3
दौलत का जब नशा चढ़ता है जय ,
बड़े ही बेईमान बन जाते हैं वो II 4
रास्ते भर हम सफर का साथ हो ,
रास्ते आसान बन जाते हैं वो II 5
मजहबों की बेड़ियाँ जो काट दें ,
पलों में इंसान बन जाते हैं वो II 6
शौक से पीले ज़हर ना उफ़ करे ,
एक दिन भागवान बन जाते हैं वो II 7
रचना -जयप्रकाश विश्वकर्मा
09 जुलाई 2020
पत्थर उछालते रहो .
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