।। तेरे सिवा कुछ भी नहीं।।
जो कहूँगा सच कहूँगा सच के सिवा कुछ भी नहीं ।
इस दिलो -दिमाग में तेरे सिवा कुछ भी नहीं ।।
इस दिलो -दिमाग में तेरे सिवा कुछ भी नहीं ।।
तू जमी में आसमां में तेरा ही सब अक्स फैला ।
जिस तरफ डालू नजर तेरे सिवा कुछ भी नहीं ।।
यूँ तो मेरे आस पास चेहरे हजारों थे मगर ।
दुआ में मांगा किया तेरे सिवा कुछ भी नहीं ।।
दुआ में मांगा किया तेरे सिवा कुछ भी नहीं ।।
दिल अभी बच्चा है मेरा जिद लिए बैठा है ये ।
चहिये जो ये कहे उसके सिवा कुछ भी नहीं ।।
रचना - जय प्रकाश विश्वकर्मा , अप्रैल 19 ,2020
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